"ॐ तत्पुरुषाय विद्ध्महे महादेवाय धिमाही तन्नो रूद्र: प्रचोदयात!!!"

Jun 18, 2016

गाय घी के फायदे


आयुर्वेद में गाय के घी को अमृत माना गया है। गाय का घी बिल्कुल शुद्ध होता है और इससे कई तरह की बीमारियां दूर होती है। इसका नियमित सेवन आपकी सेहत के लिए फायदेमंद होता है। जानिए, घी के फायदों के बारे में-

1. माइग्रेन: दो बूंद देसी गाय का घी नाक में सुबह-शाम डालने से माइग्रेन व नजले की तकलीफ में आराम मिलता है।

2. सिरदर्द और अनिद्रा: सिरदर्द होने पर गाय के घी की मालिश पैरों के तलवों पर करें। हाथ-पैर में जलन व अनिद्रा की समस्या हो तो भी घी की तलवों पर मालिश करें।

3. तेज दिमाग: फफोलों पर देसी घी लगाने से आराम मिलता है। नाक में घी डालने से खुश्की दूर होती है और दिमाग तरोताजा रहता है।

4. सर्दी-जुकाम: इस घी की छाती पर मालिश करने से बच्चों को जुकाम में लाभ होता है और कफ बाहर निकलता है।

5. एसिडिटी: अगर ज्यादा कमजोरी लगे तो एक गिलास दूध में एक चम्मच गाय का घी और मिश्री मिलाकर पिएं। गाय के घी का नियमित प्रयोग करने से एसिडिटी व कब्ज की शिकायत कम हो जाती है। इस घी के प्रयोग से मांसपेशियां व हçaयां मजबूत होती हैं।


6. वजन: गाय के घी में कोलेस्ट्रॉल नहीं होता जिससे मोटापा बढ़ने की समस्या नहीं रहती।


Jun 14, 2016

श्री गणेश/ विनायक चालीसा


जय गणपति सद्गुणसदन कविवर बदन कृपाल । 
विघ्न हरण मङ्गल करण जय जय गिरिजालाल ॥
जय जय जय गणपति गणराजू।मंगल भरण करण शुभ काजू ॥
जै गजबदन सदन सुखदाता। विश्व विनायक बुद्घि विधाता॥
वक्र तुण्ड शुचि शुण्ड सुहावन। तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन॥
राजत मणि मुक्तन उर माला। स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला॥
पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं । मोदक भोग सुगन्धित फूलं ॥
सुन्दर पीताम्बर तन साजित । चरण पादुका मुनि मन राजित ॥
धनि शिवसुवन षडानन भ्राता । गौरी ललन विश्वविख्याता ॥
ऋद्घिसिद्घि तव चंवर सुधारे । मूषक वाहन सोहत द्घारे ॥
कहौ जन्म शुभकथा तुम्हारी । अति शुचि पावन मंगलकारी ॥
एक समय गिरिराज कुमारी । पुत्र हेतु तप कीन्हो भारी ॥
भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा । तब पहुंच्यो तुम धरि द्घिज रुपा ॥
अतिथि जानि कै गौरि सुखारी । बहुविधि सेवा करी तुम्हारी ॥
अति प्रसन्न है तुम वर दीन्हा । मातु पुत्र हित जो तप कीन्हा ॥
मिलहि पुत्र तुहि, बुद्घि विशाला । बिना गर्भ धारण, यहि काला ॥
गणनायक, गुण ज्ञान निधाना । पूजित प्रथम, रुप भगवाना ॥
अस कहि अन्तर्धान रुप है । पलना पर बालक स्वरुप है ॥
बनि शिशु, रुदन जबहिं तुम ठाना। लखि मुख सुख नहिं गौरि समाना ॥
सकल मगन, सुखमंगल गावहिं । नभ ते सुरन, सुमन वर्षावहिं ॥
शम्भु, उमा, बहु दान लुटावहिं । सुर मुनिजन, सुत देखन आवहिं ॥
लखि अति आनन्द मंगल साजा । देखन भी आये शनि राजा ॥
निज अवगुण गुनि शनि मन माहीं । बालक, देखन चाहत नाहीं ॥
गिरिजा कछु मन भेद बढ़ायो । उत्सव मोर, न शनि तुहि भायो ॥
कहन लगे शनि, मन सकुचाई । का करिहौ, शिशु मोहि दिखाई ॥
नहिं विश्वास, उमा उर भयऊ । शनि सों बालक देखन कहाऊ ॥
पडतहिं, शनि दृग कोण प्रकाशा । बोलक सिर उड़ि गयो अकाशा ॥
गिरिजा गिरीं विकल है धरणी । सो दुख दशा गयो नहीं वरणी ॥
हाहाकार मच्यो कैलाशा । शनि कीन्हो लखि सुत को नाशा ॥
तुरत गरुड़ चढ़ि विष्णु सिधायो । काटि चक्र सो गज शिर लाये ॥
बालक के धड़ ऊपर धारयो । प्राण, मन्त्र पढ़ि शंकर डारयो ॥
नाम गणेश शम्भु तब कीन्हे । प्रथम पूज्य बुद्घि निधि, वन दीन्हे ॥
बुद्घ परीक्षा जब शिव कीन्हा । पृथ्वी कर प्रदक्षिणा लीन्हा ॥
चले षडानन, भरमि भुलाई। रचे बैठ तुम बुद्घि उपाई ॥
चरण मातुपितु के धर लीन्हें । तिनके सात प्रदक्षिण कीन्हें ॥
तुम्हरी महिमा बुद्घि बड़ाई । शेष सहसमुख सके न गाई ॥
मैं मतिहीन मलीन दुखारी । करहुं कौन विधि विनय तुम्हारी ॥
भजत रामसुन्दर प्रभुदासा । जग प्रयाग, ककरा, दर्वासा ॥
अब प्रभु दया दीन पर कीजै । अपनी भक्ति शक्ति कछु दीजै ॥
॥दोहा॥श्री गणेश यह चालीसा, पाठ करै कर ध्यान।
नित नव मंगल गृह बसै, लहे जगत सन्मान॥


चाणक्‍य की 10 नीतियां


चाणक्‍य की नीतियों ने भारत के इतिहास को बदलने में अहम भूमिका निभाई है और उनकी बातें आज भी उतना ही मायने रखती हैं. पेश हैं उनकी 10 नीतियां, जो आपको भी जीवन में सफलता दिला सकती हैं.

1. दूसरों की गलतियों से ही सीखो. खुद पर प्रयोग करके सीखोगे तो तुम्हारी आयु कम पड़ जाएगी. 

2. कुछ लोग हालात बदलने का प्रयास नहीं करते. जीवन जैसे चल रहा है, बस जीते चले जाते हैं. पर जो प्रगति करना चाहते हैं, ऊपर उठना चाहते हैं - वे अपना सब कुछ दांव पर लगाने से नहीं डरते. संभावना है कि वे हार जाएं, कुछ न कर पाएं लेकिन यह जो कुछ कर दिखाने का प्रयास है - यही उन्हें औरों से अलग बनाता है. 

3. हमें भूत के बारे में पछतावा नहीं करना चाहिए और न ही भविष्य के बारे में चिंतित होना चाहिए. विवेकवान व्यक्ति हमेशा वर्तमान में जीते हैं.

4. कोई काम शुरू करने से पहले, स्वयं से तीन सवाल जरूर कीजिये - मैं ये क्यों कर रहा हूं, इसके परिणाम क्या हो सकते हैं और क्या मैं सफल हो पाऊंगा? और जब गहराई से सोचने पर इन सवालों के संतोषजनक जवाब मिल जाएं, तभी आगे बढ़ें.

5. कोई व्यक्ति अपने कर्मों से ही महान बनता है, अपने जन्म से नहीं.

6. भय को नजदीक न आने दो. अगर यह नजदीक आए तो इस पर हमला कर दो यानी भय से भागो मत इसका सामना करो.

7. एक बार जब आप कोई काम शुरु करते हैं, तो असफलता से डरे नहीं और ना ही उसे त्‍यागें.  ईमानदारी से काम करने वाले लोग खुश रहते हैं.

8. ऐसे व्यक्ति जो आपके स्तर से ऊपर या नीचे के हैं, उन्हें दोस्त न बनाओ. वे तुम्हारे कष्ट का कारण बनेगे। समान स्तर के मित्र ही सुखदायक होते हैं.

9. शिक्षा सबसे अच्छी मित्र है. शिक्षित व्यक्ति सदैव सम्मान पाता है. शिक्षा की शक्ति के आगे युवा शक्ति और सौंदर्य, दोनों ही कमजोर हैं.

10. किसी भी व्यक्ति को बहुत ईमानदार नहीं होना चाहिए. सीधे वृक्ष और व्यक्ति पहले काटे जाते हैं


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