"ॐ तत्पुरुषाय विद्ध्महे महादेवाय धिमाही तन्नो रूद्र: प्रचोदयात!!!"

Nov 22, 2010

गौतमी गोत्र (वडकिया )
रावल ब्रह्मण समुदाय के गौतमी गोत्र (वडकिया ) प्रथम  माने जाते हैं ! यह गोत्र हमारे समुदाय में गोरवाल से अलग होकर रावल के रूप में स्थापित हुए हैं , सिद्धपुर से आये हैं सह्श्त्र ओउचित्य हैं  ! बताया जाता हैं की उदयपुर के राणा ने इनको बहुत विशाल यज्ञ के लिए बुलाया था और उनको २२ गाँव दान में दिए , जीसमे सिरोही जिले का गोल गाँव शामिल हैं ! यह कुछ समय बाद  गोरवाल ब्रह्मण कहलाये और इसी में से एक वर्ग रावल समुदाय बन गया ! बाद में राव अखेराँव और  सिरोही के नरेश राव सरतान ने उनको कुछ गाँव दान में दिए ! जिसमे , फुलेरा , जनापुर , कोदरला , पंराला , रिछडी,पीपलकी , बोरडी इत्यादि प्रमुख हैं ! हमारा समाज में इन्हें वडकिया के नाम से जाना जाता हैं और सारणेश्वरजी के प्रमुख पुजारी हैं इनकी कुलदेवी माँ आशापुरी हैं ! और जनसँख्या की दृष्टी से समाज में दुसरे स्थान पर हैं ! 

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