"ॐ तत्पुरुषाय विद्ध्महे महादेवाय धिमाही तन्नो रूद्र: प्रचोदयात!!!"

Mar 2, 2011

श्री अम्बें जी की आरती

श्री अम्बें जी की आरती
सर्वमंगल मांग्लयै , शिवे सर्वार्थसाधिके |
शरण्ये त्र्यम्िके गौरी , नारायणी नमोऽस्तुते ॥
जय अम्बे गौरी , मैया जय श्यामा गौरी |
तुमको निसदिन ध्यावत , हरि ब्रम्हा शिवरी ॥
जय अम्बे गौरी.....
मांग सिंदुर विराजत , टीको मृगमद को |
उज्जवल से दोऊ नैना , चन्द्रवदन नीको ॥
जय अम्बे गौरी.....
कनक समान कलेवर , रक्ताम्बर राजे |
रक्त पुष्प गल माला , कण्ठन पर साजे ॥
जय अम्बे गौरी....
केहरि वाहन राजत , खडग खप्पर धारी |
सुर नर मुनि जन सेवत , तिनके दुःख हारी ॥
जय अम्बे गौरी.....
कानन कुंडल शोभित , नासाग्रे मोती |
कोटिक चंद्र दिवाकर , राजत सम ज्योति ॥
जय अम्बे गौरी.....
शुंभ निशंभु बिदारे , महिषासुर धाती |
धूम्र विलोचन नैना , निशदिन मदमाती ॥
जय अम्बे गौरी.....
चंड मुंड संहारे , शोणित बीज हरे |
मधु कैटभ दोउ मारे , सुर भयहीन करे ॥
जय अम्बे गौरी.....
ब्रम्हाणी रुद्राणी , तुम कमलारानी |
आगम निगम बखानी , तुम शिव पटरानी ॥
जय अम्बे गौरी.....
चौसंठ योगिनी गावत , नृत्य करत भैरुँ |
बाजत ताल मृदंगा , अरु डमरुँ ॥
जय अम्बे गौरी.....
तुम ही जग की माता , तुम ही हो भरता |
भक्तन की दुःखहर्ता , सुख सम्पत्ति कर्ता ॥
जय अम्बे गौरी.....
भुजा अष्ट अति शोभित , वर मुद्रा धारी |
मनवांच्छित फल पावे सेवत नर नारी ॥
जय अम्बे गौरी.....
कंचन थाल विराजत अगर कपुर बात्ती |
श्री माल केतु में राजत कोटि रतन ज्योती ॥
जय अम्बे गौरी.....
या अम्बे जी की आरती जो कोई नर गाये |
कहत शिवानंद स्वामी , सुख संपत्ति पाये ॥
जय अम्बे गौरी.....
जय अम्बे गौरी , मैया जय श्यामा गौरी |
तुमको निसदिन ध्यावत , हरि ब्रम्हा शिवरी ॥

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